मधुमेह शुगर Ayurvedic treatment of Diabetes

What is diabetes?
मधुमेह रोग क्या है?

Diabetes मधुमेह

     Diabetes Mellitus, आम तौर पर मधुमेह और शुगर के नाम से जाने जाते हैं। यह एक ऐसा रोग है जिसके बारे में आज दुनियां में बहुत सी अफवाहें हैं, मॉडर्न मेडिकल चिकित्सा तो कहती है कि डायबिटीज जिंदगी भर ठीक नहीं होता। और मजे की बात तो यह है कि मॉडर्न चिकित्सा विज्ञान ने कभी भी ये नहीं बताया कि शुगर एक हाजमें की कमज़ोरी की वज़ह से पैदा होने वाला रोग है।

     शुगर एक हाजमें से पैदा हुआ रोग है जो रक्त में ग्लूकोज़ की मात्रा अधिक रहने से होता है। हाजमें की ख़राबी की वज़ह से भोजन के रस ख़राब हो जाते हैं और इंसुलिन बनने की परिकिर्या रुक जाती है या बहुत कम हो जाती है। क्योंकि ग्लूकोस को सोखने के लिए इंसुलिन की जरूरत पड़ती है और  इंसुलिन न मिलने से cells ग्लूकोस को सोख नहीं पाते, इसलिए रक्त में ग्लूकोस आज़ाद घूमता रहता है।

शुगर की मात्रा अधिक रहने से nerves, kidneys, eyes और heart पर बुरा असर पड़ता है। जो धीरे धीरे रोगी को और भी कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त कर देता है। शरीर कमजोर हो जाता है। रोगों से लड़ने की शक्ति खत्म हो जाती है।

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान डायबिटीज (Diabetes) को कई किस्म का बताती है जिनमें से 2 को प्रमुख नाम दिए है Type 1 diabetes और Type 2 diabetes

According to modern medical science..

Type 1 diabetes is an autoimmune disease. The immune system attacks and destroy cells in the pancreas. Pancreas makes insulin which is destroyed by immune system attackes. It's unclear what causes of this attack. Type 1 diabetes ratio is under 10 percent.

Type 2 diabetes occurs when your body becomes resistant to insulin and sugar build up in your blood.

Prediabetes, Gastational Diabetes and insipidus are also some types of diabetes.

प्रमुख दोनों तरह की शुगर type1 और type2 का जड़ कारण एक ही होता है वो है इंसुलिन। इंसुलिन की कमी cells के द्वारा ग्लूकोज़ सोखने की प्रकिर्या को प्रभावित कर देती है जिसकी वज़ह से सेल्स कमज़ोर और खून में शुगर अधिक रहने लगती है।

Type 1 diabetes और Type 2 diabetes दोनों ही हालात में रोगी इंसुलिन लेने लगते हैं। अगर अधिक मात्रा में इंसुलिन ले ली तो शुगर लेवल जरूरत से कम जो जाता है जिसकी वज़ह से Hypoglycemia (शुगर की कमी की वज़ह से होने वाला रोग) के हालात पैदा हो जाते हैं।

Eating habbits and Rules for Patient

मधुमेह(शुगर) रोगी के लिए भोजन के नियम

Diabetes मधुमेह

      मधुमेह रोगी की चिकित्सा का पहला चरण उसके खाने पीने की आदतों से प्रभावित होता है। इसलिए सबसे पहले रोगी की खाने पीने की आदतों को बदलकर एक शुद्ध नियमबद्ध ढंग से चलाना होगा।

      रोगी को अधिक मात्रा में कुदरती भोजन करना होगा जिसमें मीठे फल और कच्ची खाई जाने वाली सब्जियां शामिल होंगी। सुबह खाली पेट 1 गिलास गर्म पानी से शुरुआत कर सुबह 11 बजे तक सिर्फ और सिर्फ फल ही खाएं। 11 से 12 बजे भोजन करें जिसमें घर पर बने साधारण भोजन के साथ सलाद लें। सलाद की मात्रा भोजन से अधिक होनी चाहिए। भोजन करने उपरांत पानी एक से डेढ़ घंटे बाद ही पियें। भोजन के बाद पानी क्यों न पिएं पर एक अलग से लेख है उसे जरूर पढ़ें।

      11 से 12 बजे के भोजन के बाद शाम 7 बजे तक कुछ न खाएं। अगर अधिक भूख लगे तो सलाद खाएं या कोई फल खाएं। शाम का भोजन पहले वाले भोजन की तरह सलाद के साथ करें। शाम का भोजन हर हालत में 8 बजे से पहले करें। वैसे तो सूरज ढलने से पहले किया गया भोजन ही सबसे बेहतर होता है फिर भी सूरज ढलने के 1 घंटे के भीतर ही भोजन कर लेना चाहिए।

      दूध और दूध से बने सभी प्रकार के पदार्थों का सेवन बन्द कर दें। बाज़ार का बना भोजन, फैक्ट्री का बना और पैकेट बन्द चीजें बिल्कुल भी इस्तेमाल न करें। भोजन जितना अधिक कुदरती होगा रोगी उतनी जल्दी ठीक हो जाएगा।

      सबसे बड़ी बात जो लोगों के दिमाग में भर दी गयी है वो है प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और मिनरल्स कैसे और कहां से पूरे होंगे। असल में ये झूठ फैलाया गया है। शुद्ध सात्विक भोजन करने से कभी किसी तत्त्व की कमी नहीं होती।

      बहुत से गाँव में रहने वाले लोग जो कुदरती भोजन ही करते है शहर में रहने वाले लोगों के मुकाबले बहुत कम बीमार पड़ते है। वो कभी कोई प्रोटीन विटामिन वगैरा नहीं खाते और उनको कभी किसी प्रोटीन विटामिन की कमी नहीं होती।

      जंगल में रहने वाले जानवर कभी बीमार नहीं होते क्योंकि वो कभी गैर कुदरती भोजन नहीं खाते। जो जानवर मनुष्यों के संपर्क में रहते है वो इंसान का दिया गैर कुदरती खाते है और बीमार होते है।

आज के समय की सबसे बड़ी समस्या गैर कुदरती भोजन है।


Ayurvedic Medicine of Diabetes
मधुमेह की आयुर्वेदिक दवा

आयुर्वेदिक ग्रंथों में बहुत ही उत्तम योग बताये गए हैं जिनमें से कुछ योग हम प्रयोग करते हैं और बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं।

1) बसंत कुसमाकर रस स्वर्ण

2) मधुमेहारी योग स्वर्ण

3) चंद्रप्रभा बटी शिलाजीत युक्त

4) हमदर्द डायबीट कैप्सूल

5) पतंजलि मधुनाशिनी वटी

      एक अहम बात- स्वर्ण भस्म के योग के बिना मधुमेह ठीक नहीं हो पाती। इसलिए स्वर्ण योग का इस्तेमाल वैध के परामर्श अनुसार करें लाभः मिलेगा।

      ये दवा अगर ऊपर दिए सभी नियमों के साथ साथ प्रयोग की जाए तो शुगर ठीक होने में अधिक समय नहीं लगता। दवा परामर्श हेतु संपर्क करें।

      भोजन करने के नियम जिंदगी भर तंदरुस्त रहने के लिए होते हैं। अगर किसी को लगे कि अब तंदरुस्त रह कर मज़ा नहीं आ रहा है तो नियम छोड़ कर जैसे तैसे खाये और बीमारी का आनंद उड़ाए।

"तंदरुस्ती ही जीवन है

"भोजन के नियम"

अलग से लेख है जरूर पढ़ें।

कोई भी दवा चिकित्सक के परामर्श से ही प्रयोग करें।

Ayurved Sagar
Vaid Karamjeet Singh
ayurvedsagarkhanauri@gmail.com

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