पित्ते की पत्थरी का ईलाज।
The Gallbladder stones can treat easily in ayurveda.
The Gallbladder location in human body
पित्त की पत्थरी का ईलाज करने से पहले ये जान लेना अति आवश्यक है कि पित्ते की पत्थरी क्या है और होती क्यों है?
मॉडर्न मेडिकल साइंस के पास पित्ते की पत्थरी का कोई ईलाज नहीं है इसलिए वो पित्त की थैली ही निकाल देते हैं। फिर पत्थरी का अध्ययन करते हैं कि ये किस एलिमेंट से बनी है कैसे बनी होगी ये एलिमेंट कहाँ से आया वगैरा वगैरा। लेकिन ईलाज कोई नहीं।
The Gallbladder with stones
आयुर्वेद में पित्त की पत्थरी, पित्त की किसी भी ख़राबी का बहुत ही सरल ईलाज है।
क्या है पित्त की पथरी?
आयुर्वेद में पित्ते की खराबी को पिताशमरी कहते हैं।
पित्त की पत्थरी असल में पित्त रस में अधिक cholesterol और bilirubin के (पित्ते में) जम जाने से बना सख्त पदार्थ होता है जिसे आम तौर पर पत्थरी कहा जाता है।
|
GallBladder |
पित्ताशय का कार्य पित्त रस (bile juice) को जमा करना व उसे सान्द्र (concentrate) करना और पाचन प्रक्रीया के दौरान उक्त पित्त रस का खाने में रिसाव करना है। जैसे दूध से दहीं जमाने के लिए पहले से जमीं दहीं डाल कर जाग लगाया जाता है और जमने वाली दहीं बिल्कुल वैसी ही होती है जैसा दहीं अपने डाला था। ठीक इसी तरह पित्ते में जमा रस खाने में डालने का काम पित्ताशय करता है।
अब समझने की बात ये है कि अगर पित्त रस स्वच्छ था तो नया रस जो भोजन से बनेगा वो भी स्वच्छ बनेगा और यह प्रोसेस आगे भी चलता रहेगा।
अधिक गैर कुदरती भोजन करते रहने से धीरे धीरे पित्त रस दुषित हो जाता है और ये दुषित रस रोजाना भोजन में जाग के रूप में डालता रहेगा और एक दिन नतीजा ये होगा कि सारा पित्त रस अति गंदा हो जाता है।
मॉडर्न चिकित्सा के अनुसार पित्ते की पत्थरी 3 तरह की हो सकती है, लेकिन क्या फर्क पड़ता है किसी भी किसम की हो जब मॉडर्न चिकित्सा से उसका ईलाज ही नहीं किया जा सकता। लेकिन आयुर्वेद बहुत ही सुखद ढंग से ईलाज कर सकता है।
पत्थरी की 3 किसमें इस प्रकार हैं।
1. Cholesterol Gallstones
कोलेस्ट्रॉल से बनी पत्थरी तब बनती है जब किसी को लगातार कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या रहती है।
2. Pigment Gallstones
पिग्मेंट पत्थरी असल में कई अलग-अलग द्रव्यों के मिलने से बनती है जैसे कि calcium salts, bilirubin and other materials like blood cells.
3. Mixed stones
जो पथरी पहली और दूसरी के मिलने से बनती है, दोनों के इलावा जब लगातार इम्यून सिस्टम खराब रहने से बिलीरुबिन का निर्माण कार्य नहीं होता तो कच्चा रस लिवर और पित्ते की कार्य क्षमता को प्रभावित करता है। पित्ते की कार्य क्षमता कम हो जाने पर जमा किया रस जमने से पत्थरी बन जाती है।
क्यों होती है पित्ते की पथरी?
पित्ते का काम पाचन किर्या के जुड़ा हुआ है अतः जब पाचन किर्या ठीक से नहीं चल रही होती तो पित्ते पर अधिक दबाव रहने लगता है। पित्ते की कार्ये क्षमता कम होने लगती है और पित्त रस खाली नहीं होता। पित्त रस हर 3 से 5 दिन में साफ हो कर दोबारा भरता रहता है। लेकिन जब ये साफ नहीं होता तो पुराने रस में नया मिल जाता है और ये परिकिर्या चलती रहती है। धीरे धीरे रस गाढ़ा हो कर जमने लगता है और बनती है पित्त की पत्थरी।
अब आप समझ ही चुके होंगे कि पित्त की पत्थरी पाचन किर्या की कमज़ोरी का नतीजा है।
गलत खान पान की आदत
गैर कुदरती खाना
बिना भूख लगे ही बार बार खाना
खाने के साथ ठंडा पानी पीना
अधिक मसालेदार खाना
Fast food junk food
Factory based food
Cold drinks
Ice creams
रात को अधिक खा कर सो जाना
देर रात भोजन करना
जैसे और भी बहुत से कारण हैं जो पित्त की पत्थरी के लिए जिम्मेदार हैं।
जिनका पाचन कमज़ोर है और गले और पेट में जलन रहती है जिसे एसिड बनता है कहा जाता है और एसिड से परेशान होकर एन्टी एसिड दवाओं का अधिक सेवन करते हैं उनको सबसे अधिक सम्भावना होती है पित्ते में पत्थरी बनने की।
आपको कैसे पता चलेगा कि आपका पित्त रस दूषित व गंदा हो चुका है?
सबसे पहली पहचान ये है कि मुँह से दुर्गन्ध आती रहती है।
भोजन के बाद पेट और गले में जलन होना।
सीने में दर्द होना।
खट्टी डकार आना।
सिर दर्द रहना।
आफरा रहना।
बार बार बदहज़मी होना।
दूषित हुए पित्त रस की वज़ह से सिर दर्द की संभावना सबसे अधिक रहती है। जब भी पेट में जलन होगी या भोजन देर से पचेगा या आफरा होगा तो पक्का है कि सिर दर्द होगा। पहले कुछ दिन हल्का दर्द फिर धीरे धीरे अधिक सिर दर्द रहने लगेगा। फिर दौर शुरू होगा पेन किलर और एन्टी एसिड दवाओं का। लेकिन पक्का इलाज कोई नहीं।
मॉडर्न चिकित्सा विज्ञान इस सर दर्द को माइग्रेन कहती है लेकिन उनके पास इसका ईलाज नहीं है। नतीजा जिंदगी भर के लिए दवा पे लगा दिया जाता है। दवा के दुष्प्रभाव भी होते हैं लेकिन पित्त रस कभी साफ नहीं कर पाते और भयानक नतीजा पित्त की पत्थरी के रूप में सामने आता है। अब मॉडर्न चिकित्सा क्या करते हैं? ईलाज नहीं करते वैसे उनके पास है भी नहीं, व पित्ताशय ही निकाल देते हैं। अब होता ये है कि भोजन में जाग लगाने की परिकिर्या हमेशा के लिए रुक गयी और जिंदगी भर के लिए रोगी बना दिया गया।
पित्त की पत्थरी से बचाव और ईलाज
आयुर्वेद में पित्त की पत्थरी का ईलाज है। बहुत ही आसानी से ईलाज किया जा सकता है। ईलाज के कई अलग अलग ढंग है।
1. सबसे पहला नियम है कुदरती भोजन करें। गैर कुदरती भोजन न करें।
2. कुछ भी ऐसा न खाएं जिस को पचाने में दिकत होती हो। अर्थात देर से पचने वाला भोजन न करें।
3. भोजन के उपरांत 1 घंटे से पहले पानी न पिएं। न ही कुछ और पियें और खाएं।
4. दिन में 2 बार ही भोजन करें। या फिर 2 भोजन का अंतराल 6 घंटे से अधिक रखें।
5. अच्छी भूख लगने पर ही भोजन करें अन्यथा भोजन न करें।
6. पकाया हुआ भोजन कम से कम लें और कच्चा खाया जाने वाला कुदरती भोजन अधिक मात्रा में लें।
7. रोजाना 500ग्राम से अधिक मीठे फ़ल जरूर खाएं।
8. 10 दिन में 1 दिन व्रत जरूर करें। व्रत के दिन 2 सेब और पानी के बिना कुछ भी प्रयोग का करें।
9. सबसे जरूरी: दूध दहीं लस्सी का अधिक सेवन न करें हो सके तो बिल्कुल ही बंद कर दें।
10. पेट साफ हेतु इसबगोल का छिलका और छोटी हरड़ का इस्तेमाल करें। बाजार में मिलने वाले पेट साफ करने के चूर्ण हानिकारक होते हैं।
पित्त की पत्थरी की चिकित्सा
परहेज़:
आयुर्वेद में चिकित्सा परहेज से शुरू होती है। दवा का सेवन करने से पहले परहेज करना अनिवार्य होता है। ऊपर दिए गए सभी उपाए करने के साथ परहेज भी करें जो इस प्रकार हैं:
1. तला भुना भोजन न करें।
2. अधिक मसालेदार भोजन न करें। गरम मसाले का उपयोग बिल्कुल बन्द कर दें।
3. खट्टी और गर्म तासीर की वस्तुएं इस्तेमाल न करें।
4. पालक मेथी बथुआ सरसों का साग चुलाई तंदला जैसे भारी और गर्म तासीर के भोजन बिल्कुल न करें।
5. फैक्ट्री का बना भोजन ने लें। घर का साधा भोजन करें।
चिकित्सा न. 1
अगर रोगी को गैस आफरा और पेट भारी है तो...
सुतशेखर रस
सुबह शाम खाली पेट भोजन से 1 घंटे पहले 2-2 गोली पानी के साथ लें।
भोजन के 1 घंटे बाद
अश्वगंधारिष्ट 10ml पानी 100ml
अरोग्यवर्धनि बट्टी 2 गोली साथ में लें।
चित्रकादी बट्टी 2 गोली भोजन के तुरन्त बाद चूसें।
सुबह शाम लें।
40 दिन प्रयोग करें लाभः मिलेगा।
चिकित्सक से परामर्श कर 40 दिन से अधिक भी ले सकते हैं।
पत्थरी को गलाने के लिए एक खास योग इसके साथ देना है जो हमारे पास मिलेगा।
चिकित्सा न 2:
अगर रोगी को पेट, गले व मूत्र में जलन है लेकिन आफरा बदहज़मी नहीं है तो
चंदनासव 15ml पानी 100ml
सुतशेखर रस 2 गोली
सुबह शाम खाली पेट भोजन से 1 घंटे पहले।
चित्रकादी बट्टी 2 गोली भोजन के बाद चूसें।
अरोग्यवर्धनि बट्टी 2 गोली भोजन के 1 घंटे बाद पानी के साथ लें।
40 दिन प्रयोग करें।
चिकित्सक से परामर्श करें।
चिकित्सा न 3:
हल्दी 50g
सौंठ 50g
रेवंद चीनी 50g
मीठा सोडा 50g
सभी को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें और फिर मिला कर कांच के बर्तन में रखें। 1 से 1.5 ग्राम चूर्ण सुबह शाम खाली पेट भोजन से 1 घंटा पहले हल्के गर्म पानी के साथ खाएं।
भोजन के बाद अश्वगंधारिष्ट 15ml के साथ 1 या 2 गोली अरोग्यवर्दनी वटी का प्रयोग करें।
40 दिन तक लेने के बाद अल्ट्रासाउंड करा सकते हैं। ये प्रयोग 6 महीने भी खाया जा सकता है।
जो रोगी सुबह खाली पेट एन्टी एसिड दवा लेते हैं वे सावधान हो जाये क्योंकि ये दवाएं आपको कभी स्वस्थ नहीं करेंगी उल्टा आपके पाचन तंत्र को खराब और कमजोर करेंगी।
सुबह खाली पेट सुतशेखर रस 2 गोली लेने से पाचन तंत्र संबंधी सभी विकार ठीक हो जाएंगे और एन्टी एसिड दवा कभी नहीं लेनी पड़ेगी। अधिक जानकारी के लिए रसतंत्रसार सिद्धप्रयोग संग्रह में सुतशेखर रस पढ़े।
चिकित्सा 4
चिकित्सा 5
चिकित्सा 6
Update later
Disclaimer
कोई भी रोगी, चिकित्सक के परामर्श के बिना दवा प्रयोग न करे। हर एक रोगी की रोग परिस्थिति अलग हो सकती है जिसके लिए उसे अलग से दवा प्रयोग करवाया जा सकता है। अगर कोई हमारी जानकारी के बिना दवा बना कर प्रयोग करता है तो उसको हुए किसी भी हानि की जिम्मेदारी उस रोगी की होगी।
हमसे ली गयी दवा पूर्ण सावधानी से तैयार की गई है अतः इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
कोई भी दवा चिकित्सक के परामर्श से ही प्रयोग करें।
Ayurved Sagar
Vaid Karamjeet Singh
ayurvedsagarkhanauri@gmail.com
0 Comments
Ask a question