खाने पीने की ग़लत आदतों की वज़ह से रोगी होना आज कल एक आम बात हो गई है।
Change your food habbits and be healthy.
तंदरुस्ती का आधार खाने पीने पर निर्भर करता है। भोजन तंदरुस्त रख सकता है और बीमार भी बना सकता है। जीवन जीने के लिए भोजन ज़रूरी है लेकिन सिर्फ भोजन के लिए जीना व्यर्थ है। इसकी जबरदस्त मिसाल मनुष्य है जो जीभ (स्वाद) का ग़ुलाम हो कर भोजन के लिए जीवन जीता है। इस सृष्टि पर मनुष्यों से अधिक कोई प्राणी बीमार नहीं होता, या फिर जो प्राणी मनुष्यों के संपर्क में अधिक रहते हैं वो बीमार पड़ते हैं क्योंकि उनका भोजन भी मनुष्यों की तरह गैर क़ुदरती हो जाता है जो कि बीमारी का सबसे बड़ा कारण होता है।
तंदरुस्ती अगर दवाओँ में होती तो वैध और डॉक्टर कभी बीमार न होते। तंदरुस्त रहने के लिए भोजन के नियमों को सुधारने की जरूरत होती है। रोगी को दवा के साथ साथ स्वच्छ और क़ुदरती भोजन की जरूरत होती है। क़ुदरती भोजन करने वाले लोगों को कभी भी ग़ैर क़ुदरती और फैक्ट्री में बने पदार्थों की जरूरत नहीं रहती।
आधुनिक विज्ञान ग़ैर क़ुदरती भोजन की ओर अधिक रुझान रखती है और नतीजा शरीर में पोषक तत्वों की कमी होता है और फिर आधुनिक विज्ञान पोषक तत्वों की कमी पूरी करने हेतु बहुत सी गोलियां कैप्सूल थमा देती है। आधुनिकता के चक्कर में ये समझ खत्म हो गयी है कि अगर भोजन ग़ैर क़ुदरती है तो पोषक तत्वों की कमी हमेशा रहेगी। क़ुदरती भोजन पोषक तत्वों की कमी भी पूरी करेगा और आपको रोग मुक्त भी रखेगा।
फैक्ट्री का बना खादय पदार्थ और फ़ूड सप्लीमेंट कभी भी भोजन की जगह नहीं ले सकते। रोगी को दवा और तंदरुस्त को अच्छे भोजन की जरूरत होती है फ़ूड सप्लीमेंट की कोई जगह नहीं।
आजकल बहुत सी नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी लोगों को फ़ूड सप्लीमेंट के नाम पर उल्लू बनाती हैं। लालची लोग उनके झांसे में आकर अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ करते हैं। ये फ़ूड सप्लीमेंट लम्बे समय बाद अपने साइड इफेक्ट्स दिखाते हैं और इनको सेवन करने वाले भयंकर बीमारियों के शिकार बनते हैं।
मनुष्य को अधिक खाने का आदी नहीं होना चाहिए। जरूरत अनुसार और नियम बद्ध संतुलित भोजन ही करना चाहिए। आयुर्वेद में शुद्ध शाकाहारी भोजन ही संतुलित भोजन माना गया है। जानवरों से मिलने वाला भोजन अच्छा नहीं होता।
भोजन करने का एक छोटा सा नियम इस प्रकार है:
1) सुबह जागने से लेकर दोपहर 12 बजे तक सिर्फ फ़ल आहार करें। मीठे फ़ल अधिक लें। 1 खट्टा फ़ल जैसे मौसमी संतरा किन्नू आदि जरूर लें। 50 kg से अधिक वज़न वाले 1 kg के करीब फ़ल रोज़ाना खाएं। आम और केला प्रयोग न करें या कम से कम करें।
2) दोपहर का खाना 12 से 1 बजे के बीच करें। भोजन में पहले सलाद खाएं। 300ग्राम से 500 ग्राम तक सलाद खाने के बाद घर में बनी साधारण रोटी सब्जी खाएं। सलाद में खीरा ककड़ी टमाटर प्याज कद्दू पेठा लें निम्बू डालें लेकिन नामक न डालें।
3) रात का खाना ठीक दोपहर की तरह खाएं। अँधेरा होने से 1 घंटे पहले खाया गया भोजन सबसे अच्छा है। अगर किसी वज़ह से भोजन करने में देरी होती है तो केवल सलाद ही भरपेट खाए। रात को आनाज खाना विष सामान होता है जो गंभीर बीमारियों की जड़ है।
4) दूध और दूध से बनी किसी भी वस्तु का सेवन न करें। शुद्ध शाकाहारी भोजन करें। जानवरों से मिलने वाला भोजन मीट अंडा दूध सब बंद कर दें।
5) बाज़ार का भोजन न करें। फैक्ट्री का बना पैकेट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
6) भोजन के साथ कोई भी पीने वाले पदार्थ प्रयोग न करें। भोजन उपरांत जल का सेवन कभी गलती से भी न करें। भोजन के बाद पानी क्यों न पिएं पर अलग से एक लेख है click here to read.
7) जिनको यूरिक एसिड, हाई बीपी, पेट में जलन, तेजाब, सिर दर्द और कमज़ोर पाचन की समस्या है वो ऊपर दिए नियम के साथ साथ भिंडी, अरबी, गोभी, सरसों का साग, राजमा, उड़द, काबुली चने और तले भुने भोजन से परहेज़ करें।
8) सफेद नमक (जिसे tv पे आयोडीन वाला नमक कहा जाता है) एक ज़हर है। सेंधा नमक प्रयोग करें। सलाद और फलों पर कभी भी नमक डालकर न खाएं। नमक डालने से उनके गुण नष्ट हो जाते हैं।
9) चीनी की जगह देसी खांड, गुड़, शकर का प्रयोग करें। दूध में कभी भी चीनी न डालें। कब्ज के रोगी दूध को शकर से मीठा कर रात को सोने से पहले लें। असली देसी गाय का दूध पीना चाहिए। दोगली hf अमरीकन और विदेशी गाय का दूध कभी न पिएं। दूध के बारे में एक अलग से लेख है।
10) Diabetes मधुमेह के रोगी मीठे फलों का अधिक सेवन करें और आनाज का सेवन कम से कम करें। बाज़ार और फैक्ट्री का बना बिल्कुल प्रयोग न करें। चिकित्सक से परामर्श करें मधुमेह बिल्कुल ठीक हो जाता है। जीवन भर मधुमेह से जूझने की जरूरत नहीं। डायबिटीज पर डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी जी का डाइट प्लान अतिउत्तम प्रयोग है।
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To be continue....
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