हीरा भस्म अनुपान मिश्रण

एड्स कैंसर पाण्डु आसाध्य रोगों का काल

हीरा भस्म अनुपान मिश्रण

      यह विशेष योग शक्तिप्रद उत्तम कोटि की रसायन है। इसके सेवन से बल वीर्य और मेधाशक्ति बढ़ती है। यह योग ऐसे रोगों में विशेष लाभ करता है जिनका नाम सुनते ही लोग डर जाते है। दुनिया के सबसे भयंकर समझे जाने वाले कैंसर और एड्स जैसे रोग भी इस योग से काबू में आ जाते है।
      यह योग राजयक्ष्मा, धातुक्षय, पाण्डु, अशक्ति, कैंसर (कर्कटार्बुद), सोमरोग, प्रमेह, वृद्धिअवस्था जन्य दुर्बलता और नपुंसकता आदि विकारों पर पूर्ण लाभ करता है।
      कैंसर, एड्स और पाण्डु रोग में ये योग वरदान साबित होता है। निरोगधाम 21वीं सदी अंक जनवरी फरवरी मार्च 2000 में एड्स पर विशेष लेख दिया गया था जिसमें इस योग का उल्लेख किया गया था। रसतंत्रसार सिद्धप्रयोग संग्रह में इस योग का विशेष उल्लेख है।


Heera bhasm anupan mishrn

विशेष:- यह योग बाज़ार से बना बनाया नहीं लेना। सामान ख़रीद कर खुद बनाना है।

मुख्य द्रव्य

हीरा भस्म मात्रा 200mg
स्वर्ण भस्म मात्रा 2gm
पूर्णचन्द्रोदय विशेष मात्रा 2gm
अभ्र्क भस्म 1000 पुटी मात्रा 2gm
मोती पिष्टी नंबर 1 मात्रा 2gm

पूर्णचन्द्रोदय न मिलने पर सिद्ध मकर्ध्वज का प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन पूर्णचन्द्रोदय विशेष लाभदायक है।

बनाने की विधि

      सर्व प्रथम पूर्णचन्द्रोदय को खरल में डाल कर चिकना होने तक घोटें। अगर सिद्ध मकर्ध्वज का प्रयोग कर रहे हो तो मकर्ध्वज की चमक खत्म होने तक घोटें। बिल्कुल भी चमक नहीं रहनी चाहिए। सिन्धूर जैसा रंग आ जाएगा।
      फिर हीरा भस्म डाल कर 4 से 6 घंटे खरल करें। कम से कम हीरे की किर्क की आवाज़ खत्म होने तक खरल जरूर करें। पूर्णचन्द्रोदय और हीरा भस्म घुट कर एक समान हो जाने तक खरल करते रहें।
      फिर स्वर्ण भस्म डाल कर घोटना शुरू करें। स्वर्ण भस्म के कण खत्म होने तक खरल करें। 8 से 10 घंटे लगते है स्वर्ण भस्म को खरल करने में। इतना समय जरूर दें। इससे अधिक समय देने पर विशेष लाभ होता है।
      पहले डाली गई तीनों भस्मों को अच्छी तरह तैयार हो जाने पर अभ्र्क भस्म 1000 पुटी और मोती पिष्टी नंबर 1 डाल कर 4 से 6 घंटे प्रेम पूर्वक खरल करें। दवा तैयार है।
      

मात्रा और सेवन विधि

      आधा रत्ती से एक रत्ती तक(60mg से 120mg) एक चमच मलाई मिश्री या मक्खन मिश्री या शहद में मिला कर गाय के दूध के साथ प्रयोग करें। दूध उबाल कर ठंडा कर लें। हल्का गर्म दूध लें।

एड्स के गंभीर रोगी को उपरोक्त योग भी दिया जा सकता है या एक और खास योग बनाया जा सकता है जो इस प्रकार है।

      ऊपर दी विधि से बनाया हीरा भस्म अनुपान मिश्रण 1 ग्राम, स्वर्ण मालिनी बसंत रस 5 ग्राम, शिलाजत्वादि बटी अम्बर युक्त 10 ग्राम, मृगांक रस 2 ग्राम, लक्ष्मी विलास रस स्वर्ण 5 ग्राम इन सभी को मिला कर अच्छी तरह खरल कर लें। अच्छी घुटाई करने के बाद 40 पुड़िया बना लें। एक-एक पुड़िया दवा सुबह शाम आधा चमच शहद में मिला कर प्रयोग करें। अश्वगंधारिष्ट और द्राक्षासव 20-20ml डाल कर सुबह शाम भोजन के 1 घंटे बाद प्रयोग करें।

पथ्य

      ऐसे रोगी को शुद्ध वातावरण में रखें, शुद्ध जल दें, शुद्ध नस्ल की गाय का दूध रात को सोने से पहले दें, फल, सुपाच्य ताज़ा आहार, ताज़ी सब्जियां, कुदरती भोजन अधिक दें। चिंता और शोक का त्याग कर हर्ष और उमंग का वातावरण बनाये।

अपथ्य

      इंफेक्शन करने वाले और धातुक्षय करने वाले काम से दूर रहें, सैक्स बिल्कुल नहीं करना, फैक्ट्री का बना, पैकेट बंद, डब्बा बंद भोजन का इस्तेमाल नहीं करना, देर से पचने वाले भोजन और गर्म तासीर के भोजन न करें। दूध से बने सभी पदार्थों का सेवन बंद कर दें।


आयुर्वेद अपनाएं स्वस्थ रहें।
सारे सुख निरोगी काया।

कोई भी दवा चिकित्सक के परामर्श से ही प्रयोग करें।

Ayurved Sagar
Vaid Karamjeet Singh
ayurvedsagarkhanauri@gmail.com

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