भोजन शाकाहारी या मांसाहारी

भोजन कैसा हो?

मांसाहार या शाकाहारी।

Vegetarian or Non-Vegetarian

Animal Food - non Veg

      धरती पे रह रहे हर एक जिंदा जीव को जीवित रहने के लिए भोजन की जरूरत होती है। भोजन से शरीर की सभी परिक्रिया चलती है। भोजन से शरीर बढ़ता फूलता है। भोजन जिंदा रखता है।

      सभी जीव उनकी प्रकृति के अनुसार भोजन करते है। कुछ जीव शाकाहारी भोजन करते है तो कुछ जीव मांसाहारी भोजन करते है। गाय भैंस बकरी ऊँट हाथी जैसे बहुत सारे जीव है जो शाकाहारी भोजन खाते हैं। शेर बिली कुत्ता भेड़िया जैसे जीव मांसाहारी भोजन खाते है।

      सभी जीवों के लिए कुदरत ने नियम बनाया है कि कैसा भोजन करना है और कोई भी जीव उस नियम को तोड़ता भी नहीं है। लेकिन ये कैसे निश्चय होगा कि कौनसा जीव मांसाहारी जीव है और कौनसा शाकाहारी जीव है? इसका जवाब बहुत ही आसान है। ये जवाब कुदरत ने ख़ुद दिया है। जवाब ये है कि जो जीव घूँट भर भर कर पानी पीते हैं वो शाकाहारी जीव हैं। जो जीव घूँट भरकर पानी नहीं पी सकते बल्कि जीभ से चिपका कर (चपड़ चपड़ कर) पानी पीते हैं वो मांसाहारी जीव हैं।

लेकिन मनुष्य नियम को तोड़ कर मांसाहार भी करता है। मनुष्य कौनसी किस्म में आता है? मनुष्य के लिए क्या नियम है? इन सब पर कुछ विचार किया जा सकता है।

क्या मनुष्य को मांसाहार भोजन करना चाहिए?

      वैसे तो इसका भी जवाब बहुत ही आसान है। मनुष्य कैसे पानी पीता है? घूँट भर भर कर पानी पीना जवाब है कि मनुष्य को शाकाहारी भोजन करना चाहिए। 

      लेकिन लेकिन लेकिन बात जहाँ खत्म नहीं हुई। असल में बात तो यहां से शुरू हुई है। इंसान बहुत चतुर है और अपने जीभ के सवाद की पूर्ति के लिए बहुत से बहने बना लेता है और अपने जीभ के स्वाद का गुलाम होकर मांसाहार भोजन करता है।

      आयुर्वेद स्नातन धर्म और हिंदुस्तानी सभ्यता के अनुसार मनुष्य को शुद्ध सात्विक भोजन ही करना चाहिए। 
      आयुर्वेद के अनुसार अगर किसी की पिछली 4 पीढ़ियों से किसी ने भी मांसाहार नहीं किया है तो 160 बीमारियों की एक सारणी है जो उनको कभी नहीं लगेगी। इस लिए मांसाहार नहीं करना चाहिए। सबसे पहले हम विचार करते हैं कि मनुष्य क्या बहाने बनाता है।

बहाना 1: ताकतवर बनने के लिए।

जवाब: बैल सांड और हाथी जैसे बहुत से जानवर है जो शुद्ध शाकाहारी भोजन करते है और शेर से अधिक ताकतवर होते है।

बहाना 2: अगर हम मुर्गे नहीं खाएंगे तो मुर्गे बहुत बढ़ जाएंगे।

जवाब: हम चूहे कुत्ते बिल्ली साँप और बहुत से जीवों को नहीं खाते तो वो कितने बढ़ गए। चीन के लोग ये सब खा जाते है वहां खत्म नहीं हुए। क्योंकि इंसान जो खाता है उसकी पैदावार बढ़ा लेता है। जैसे भारत में मुर्गियों के फार्म माँस की ख़पत पूरी करते है। ये बहुत बड़ा बिज़नेस है इसलिए माँस खाने को बढ़ावा दिया जाता है।

बहाना 3: विटामिन बी12 की कमी

जवाब: देसी गाय का घी खाने वालों को कभी भी B12 की कमी नहीं होती।

बहाना 4: दूध भी तो जानवरों से मिलने वाला भोजन है

जवाब: दूध निकालने से गाय भैंस की जान नहीं जाती। अधिक जानकारी के लिए दूध वाला लेख पढ़ें। click here to read

बहाना 5: पेड़ पौधे वनस्पति भी जीवित होते है शाकाहारी खाने वाले भी तो उनको मारते है।

जवाब: पेड़ पौधे फ़ल आनाज काटने से मरते नहीं। किसी पेड़ से फ़ल तोड़ कर खाने से पेड़ मरता नहीं। पेड़ पौधों को काटने से उनको दर्द नहीं होता क्योंकि दर्द महसूस करने वाली नाड़ीतंत्र पौधों में नहीं होते। आप ख़ोज कर देखें Nociceptors in plants. जिनको लगता है की साग तोड़ने से आप जीव हत्या कर रहे हो तो Nociceptors की पूरी जानकारी जरूर लेनी चाहिए। 

वैसे भी पौधे की पत्तियां तोड़ने से पौधा मरता नहीं। अगर पौधा काटने से मर भी गया तो भी उसकी बराबरी मुर्गे या बकरे से नहीं कि जा सकती है। क्योंकि जीव और वनस्पति में क्या फ़र्क होता है मेड़िकल की किताबें खोलकर जरूर पढ़ें।

बहाना 6: आदि काल में इंसान माँसाहार भोजन करता था

जवाब: आदि काल की सब बातें जो बताई जाती है वो सब अनुमान मात्र है। जिस समय को विज्ञान आदि काल कहती है उससे भी पहले के काल में वेद शास्त्र लिखे गए जो आज भारत की सभ्यता का ज्ञान देते है। किसी वेद शास्त्रों में इंसान के मांस खाने का जिक्र तक नहीं। मांस खाने वालों को राक्षक कहा जाता था।

जीव हत्या 

      एक बहुत बड़ा कारण है मांसाहार न करने का। भारत संत पुरखों की जमीन है। कभी भी किसी भी महात्मा ने मांसाहार भोजन का समर्थन नहीं किया। जीव हत्या पाप है। संतों के मत अनुसार सारी सृष्टि को 4 भागों में बांटा गया है अंडज, जेरज, सेतज, उतभुज। अंडज और जेरज वाले जीव होते है जिन्हें मारना जीव हत्या है। सेतज मख्खी मच्छर कीट पतंगे मारने से बहुत कम दर्जे की जीव हत्या होती है। उतभुज वनस्पति है जीव नहीं। 

      इनको हम तत्व के साथ भी तोल सकते है। इंसान 5 तत्वों का बना है पृथ्वी जल आकाश वायु अग्नि। जानवर 4 तत्व के। बहुत से छोटे जानवर और पंछी 3 तत्व के। बहुत से पंछी और रेंगने वाले धरती और पानी के जीव 2 तत्व के। बहुत से मख्खी मच्छर कीट पतंगे और वनस्पति 1 तत्व के जीवों में शालिम किये जा सकते है। जितने अधिक तत्व उतना बड़ा कर्म।

पाप और पुन्न

      पाप और पुन्न जो भी है सब कर्म है। कर्म बड़ा या छोटा होता है। गलत या ठीक होता है। एक मच्छर मारना बहुत छोटा पाप छोटा कर्म होता है सविधान और कोर्ट भी इसकी कोई सज़ा नहीं देता लेकिन किसी घोड़े, शेर, हाथी, मोर, हिरन को मारने पर बड़ा पाप कर्म होगा जिसकी सज़ा कोर्ट भी देगा और कुदरत भी। इंसान भी एक जीव है इंसान को मारना सबसे बड़ा पाप कर्म और कानूनी जुर्म है। जीव हत्या पाप है जुर्म है।

      क़ुदरत कहो या भगवान कहो उसका नियम अटल है। कर्म का फ़ल जरूर मिलेगा। अच्छा कर्म हो या बुरा कर्म, छोटा कर्म हो या बड़ा कर्म, फ़ल जरूर मिलेगा। ग़लती से किया पुन्न और पाप या जान बूझ कर किया कोई पुन्न और पाप, सभी कर्म है और कर्म का फ़ल मिलेगा।

      अगर कोई ग़लती से ज़हर खा ले तो क्या ज़हर उसे मारेगा नहीं? ज़हर अपना काम करेगा। ज़हर खाया कर्म किया, फ़ल मिलेगा मृत्यु। लेकिन ज़हर से बचने की चिकित्सा की जा सकती है। समय पर चिकित्सा की गई तो जान बच सकती है। चिकित्सा कर्म किया और जान बची फल मिला।

      कुछ लोग कहते हैं कि हम नहीं मानते ये सब। किसी के इनकार कर देने से सच नहीं बदल जाता। चतुर से चतुर भी मर जाता है और अमीर से अमीर भी। कर्म सिद्धांत सब के लिए एक समान है। कोई न भी माने तो भी उसके लिए कर्म सिद्धांत बदल नहीं जाता।

पाचनतंत्र

      मनुष्य का पाचन तंत्र शाकाहारी भोजन के लिए बना है। मांसाहार करने से पाचन संबंधी रोग पैदा हो जाते है। शरीर की गर्मी बढ़ जाती है। बढ़ी हुई गर्मी लिवर गुर्दे और आंतों को बहुत नुकसान करती है। तेज़ाब की समस्या हो जाती है। सिर दर्द, पेट और गले की जलन, पेशाब की जलन, गैस और बवासीर जैसी समस्या हो जाती है। अधिक दिनों तक गर्मी बढ़ी रहने पर गुर्दे ख़राब हो जाते है।

      शुद्ध शाकाहारी और नियम अनुसार भोजन करने वाले लोगों को दिल के दौरे की संभावना न के बराबर होती है लेकिन मांसाहार करने वालों को दिल के दौरे की बहुत अधिक संभावना होती है।

      जब कोई इंसान बीमार होता है और हॉस्पिटल में होता है तो डॉक्टर कभी भी उसे मांसाहार की सलाह नहीं देते बल्कि फल खाने को कहते हैं। हॉस्पिटल में दलिया खिचड़ी ही दी जाती है। आज कल कुछ आधुनिक कहलाने वाले डॉक्टर अंडे और मांसाहारी सूप की सलाह देने लगे है जो आयुर्वेदिक चिकित्सा में बिल्कुल गलत मन जाता है।

      शाकाहारी भोजन करने से शरीर तंदरुस्त रहता है और आयु लंबी होती है। माँसाहार करने वाले सभाव के उग्र और निर्दयी होते है। किसी को मारने में संकोच नहीं करते। इनका हाथ जल्दी उठ जाता है। शाकाहारी भोजन करने वाले लोग सभाव के नर्म और दयालु होते है। जीव हत्या को पाप कर्म मानते है और जल्दी हाथ नहीं उठाते।

शाकाहारी बनें। स्वस्थ रहें। जीवन अमूल्य है, अपना भी और दूसरे जीवों का भी।

ऐसे और भी बहुत से पहलू है जिन पर विचार किया जा सकता है। कमेंट में अपने सवाल और सुझाव जरूर दें।

ये सब हमारे निजी विचार है। आप इनसे सहमत या असहमत हो सकते है वो आपके निजी विचार है।

Ayurved Sagar
Vaid Karamjeet Singh
ayurvedsagarkhanauri@gmail.com


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